कान दर्द के घरेलू उपाय के बारे में जानिए

कान में दर्द होना काफ़ी सामान्य है और हम में से लगभग हर एक ने कान दर्द की समस्या का सामना किया है। अधिकतर, बच्चों के कान में दर्द उनके विकास के दिनों में कई बार होता है लेकिन वयस्कों में कान का दर्द होना कोई असामान्य या अनसुनी घटना नहीं है। ज्यादातर परिवारों में कान दर्द की दवा दूकान से नहीं आती बल्कि घर के बड़े-बुजुर्गों की सलाह के अनुसार कान दर्द के घरेलू उपाय का इस्तेमाल किया जाता हैं।

दुर्भाग्य से अधिकांश लोगों को कान में दर्द रात के समय होता है जब कान दर्द की दवा या चिकित्सक आसानी से उपलब्ध नहीं होते। इस कारण वर्ष, या तो व्यक्ति तब तक दर्द को सहन करे जब तक उसे चिकित्सा सहायता उपलब्ध न हो जाए या वह कान दर्द के घरेलू उपाय की मदद लें और दर्द से कुछ राहत पाएं।

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कान दर्द के घरेलू उपाय चिकित्सक द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक दवाओं की तरह प्रभावी नहीं होते या संभव है की वे वैज्ञानिक अनुसंधानों के पर्याप्त न हो, लेकिन परीक्षित कान दर्द के घरेलू उपाय अस्थाई राहत ज़रूर देते हैं।

हमने एक सूची संकलित की है जिसमें कान दर्द के घरेलू उपायों की व्याख्या की गई है। इसमे ज़्यादातर घर पर पाए जाने वाले आम सामग्री का उपयोग किया गया है।

कान में दर्द होने का कारण क्या है?

कान में दर्द होने का कारण कुछ इस प्रकार हैं:

  • कान में संक्रमण (जीवाणु या कवक)
  • जमा हुआ कान का मैल या कर्णमल
  • संक्रामक रोग से संबंधित अधिहृषता या एलर्जी
  • सर्दी-जुकाम
  • श्वसन तंत्र का संक्रमण (Respiratory Tract Infection)
  • यूस्टेचियन ट्यूब की सूजन (Eustachian Tube inflammation)
  • संक्रमण की वजह से गले और कान में दर्द
  • दांत में संक्रमण
  • वायुविवर या साइनस में संक्रमण (Sinus Infection)
  • सर्दी का मौसम
  • कान में अटकी कोई वस्तु, जैसे बच्चों के संदर्भ में मनका।
  • कान में फ़सा हुआ तरल तत्त्व या पानी। कान के अंदर की नलिका गीली रहने और फंगल संक्रमण के खतरे के कारण तैराक इससे पीड़ित होते है।

गंभीर बीमारियां जैसे कान का परदा फटना, जबड़ों का गठिया या टेम्परोमैंडिबुलर संयुक्त विकार (टीएमजे) जो कान में दर्द होने का कारण हैं और जिन्हें आपातकालीन चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है, उन्हें उपरोक्त सूची में शामिल नहीं किया गया है।

कान दर्द के घरेलू उपाय कैसे आपकी मदद कर सकते हैं?

कान दर्द के घरेलू उपाय पीड़ा एवं परेशानी को घटा कर राहत देते हैं और जहां एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग नहीं किया जाता या चिकित्सक उपस्तिथि न हो वहां यह एक तात्कालिक समाधान है।

क्या संक्रमण के कारण कान का दर्द अपने आप ठीक हो सकता है?

अधिकांश मामलों में, कान का दर्द अपने आप ठीक हो जाता है और दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है। हमारे शरीर की रक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रणाली मामूली संक्रमण से लड़ सकती है।

बच्चों के कान में दर्द के मामले में, उनकी परेशानी का निदान करना मुश्किल है। यदि वे अपने कानों को खींच रहे हैं या खाने से या दूध पीने से इनकार कर रहे हैं, तो संभावना है कि यह कान में संक्रमण का मामला है और कान का दर्द उन्हें परेशान कर रहा है। शिशुओं के कान में संक्रमण के लक्षणों के बारे में पढ़ें।

कान दर्द के घरेलू उपाय के बारे में पढ़ें।

निम्नलिखित कान में दर्द के घरेलू उपाय अत्यधिक अनुशंसित हैं:

1. ठंडा या गर्म सेंक

यह तरीका सबसे आसान और सबसे पसंदीदा है। कुछ व्यक्तियों को ठंडे सेक से ज़्यादा गर्म सेक मिलने पर राहत मिलती है। एक साफ कपड़े को गर्म या ठंडे पानी में भिगोएँ या उपलब्ध होने पर हीटिंग पैड या आइस पैक का इस्तेमाल करें। इसके अलावा, आइस पैक या ठंडे पानी में भिगोए हुए कपड़े के टुकड़े का उपयोग करें। ठंडे या गर्म सेंक से उपचार जारी रखें, जो भी अधिक राहत प्रदान करता हो।

2. नमक के पानी के साथ गरारे

नमक रोगाणुरोधी है और संक्रमण के कारण गले और कान में दर्द से राहत देने में बहुत प्रभावी है। गर्म पानी में नमक मिलाएं और दिन में 2-3 बार गरारे करें। इससे गले और कान में दर्द और खराश से राहत मिलेगी।

3. हाइड्रोजन पेरोक्साइड से कान कैसे साफ करें?

कई बार संचित कान का मैल या कर्णमल जमकर कठोर हो जाता है जिससे कान में दर्द होता है। कठोर कान के मैल को हटाना मुश्किल है, मैल को निकालने से पहले इसे नरम करना होगा।

हाइड्रोजन पेरोक्साइड कान के मैल को नरम करने का एक तरीका है लेकिन आम तौर पर कान की सुरक्षा के कारण इसका पतला रूप उपयोग किया जाता है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड की सांद्रता 5-6% से कम होनी चाहिए। कान साफ करने के घरेलू उपाय और तरीके के बारे में पढ़े।

4. क्या कान में दर्द के लिए जैतून के तेल (olive oil) का इस्तेमाल किया जा सकता है?

अध्ययनों के अनुसार प्राकृतिक जैतून का तेल (Virgin Olive Oil) में जीवाणुओं के खिलाफ जीवाणुनाशक या बैक्टीरिया को नष्ट करने वाले गुण होते हैं। यह कान दर्द का घरेलू उपाय हमें राहत दे सकता है।

5. कान के मैल को हटाने के लिए जैतून के तेल का इस्तेमाल

यदि मैल जमा होने के कारण कान में दर्द होता है, तो गर्म जैतून का तेल की कुछ बूँदें कानों में डालें। जैतून का तेल अटके हुए कान के मैल को नरम करता है जिससे मैल को निकालना आसान हो जाता है।

6. गर्म तेल मलना

कान में दर्द से राहत मिलने के लिए तेल को शरीर के तापमान के स्तर से थोड़ा ज्यादा गर्म करें और कान के आसपास गर्म तेल लगाएं।

7. लहसुन कान में दर्द से मदद कैसे करता है?

लहसुन, हर दादी माँ का पसंदीदा इलाज है क्योंकि इसमे बहुत गुण होते हैं और अध्ययनों से पुष्टि हुई है कि लहसुन में सूक्ष्मजीव निवारक (anti-microbial) गुण होते हैं और यह कान में दर्द के लिए एक प्रभावी उपाय है। कान में लहसुन के तेल की कुछ बूंदें डालने से राहत मिलेगी।

ध्यान दें – प्राकृतिक तेल आपको तभी राहत दे सकते हैं जब संक्रमण बाहरी कान (Otitis Externa) में हो। फंगल इंफेक्शन बहुत आम है। अधिक जानकारी के लिए कान के फंगल इन्फेक्शन पर हमारा लेख पढ़ें।

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कान दर्द के घरेलू उपाय में से एक – तेल का उपयोग।

8. कान में दर्द के लिए एक घरेलू उपाय -प्याज का रस

प्याज में एंटीबैक्टीरियल या जीवाणुरोधी गुण होते हैं और यह एक एंटीसेप्टिक है। प्याज के रस को थोडा़ सा गर्म करके, कान में 2-3 बूंदें डालने से काफी आराम मिलता है।

कान में दर्द के घरेलू उपाय के लिए निम्नलिखित प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ एक अच्छा विकल्प है।

9. कान दर्द का घरेलू उपाय – लहसुन का तेल

लहसुन में एंटी फंगल या कवकरोधी, एंटी माइक्रोबियल या सूक्ष्मजीवनिवारक और एंटी वायरल या प्रतिविषाणुज गुण होते हैं और इस वजह से यह कान में दर्द के लिए एक बहुत ही प्रभावी घरेलू उपाय है।

10. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)

सेब का सिरका भी एक प्रभावी उपाय है क्योंकि इसमें एसिटिक एसिड या सिरका अम्ल होता है जो जीवाणुरोधी होता है।

11. टी ट्री ऑयल (Tea Tree Oil)

टी ट्री ऑयल में एंटी-इंफ्लेमेटरी यानि सूजन विरोधी, कवक रोधी और रोगाणुरोधक गुण होते हैं जो कान में दर्द को कम करने के लिए एक अच्छा घरेलू उपाय है।

12. नीलगिरी तेल (Eucalyptus Oil)

यह श्वांस-प्रणाली की समस्यायें के लिए सबसे पुराने उपायों में से एक है, जो श्वसन संक्रमण के कारण होने वाले कान में दर्द से राहत देता है। यह आमतौर पर श्वसन जकड़न के लिए प्रयोग किया जाता है और मिनटों में जकड़न को साफ कर सकते हैं।

गर्म पानी में नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदों को मिलाएं और फिर भाप लें। नीलगिरी में जीवाणुरोधी और विषाणु रोधक गुण होते हैं।

13. तुलसी के पत्तों का निचोड़

तुलसी के पत्तों में जीवाणुरोधी, सूजन रोधी और दर्दनाशक गुण होते हैं और कान दर्द के घरेलू उपायों में बहुत कारगर होते हैं। तुलसी के कुछ पत्तों को पीसें और दिन में एक या दो बार कान में 2-3 बूंदें डालें।

सावधान : कान के पर्दे में सुराख के मामले में तेल या कान में डालने की दवा की बूंदों के उपयोग न करें।

14. गर्दन व्यायाम, मालिश, या कायरोप्रैक्टिक देखभाल

एक काइरोप्रैक्टर (Chiropractor) या हाड और मांसपेशियों वैद्य से मालिश राहत दे सकती है। उचित मालिश एवं उपचार से गर्दन और कंधे के आसपास की मांसपेशियों को आराम मिलता है जिससे शारीरिक तनाव और कान में दर्द को कम किया जा सकता है।

आपको अपने कान के दर्द के बारे में डॉक्टर से कब सलाह लेनी चाहिए?

कान के दर्द के अधिकांश मामलों में, डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती है। मानव शरीर छोटे-छोटे संक्रमणों से लड़ने में सक्षम है। लेकिन दर्द जारी रहने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

निम्नलिखित परिस्थितियों में ऑडियोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए:

  • उपरोक्त कान दर्द के घरेलू उपाय का उपयोग करके 24 घंटे के अंदर दर्द में धीरे-धीरे कमी नहीं आती है।
  • यदि कान में से से तरल पदार्थ निकलता है। मवाद गंभीर संक्रमण का संकेत है जिसके लिए एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता होती है।
  • कान के पीछे सूजन हो।
  • यदि कान में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द और चक्कर आने का मामला हो।
  • आपके कान में दर्द हो, और आप ठीक से सुनने में असमर्थ हो।

विस्तृत जांच के लिए देरी न करें और अपने चिकित्सक या ऑडियोलॉजिस्ट से मिलने जाएं। कान में दर्द के सभी मामले कान में संक्रमण के कारण नहीं होते हैं, कुछ संदर्भित दर्द (Referred pain) जैसे मामले हो सकते हैं। कान में दर्द गले के संक्रमण या दांतों के संक्रमण जैसी अन्य बीमारियों का दुष्प्रभाव हो सकता है।

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कान के दर्द से पीड़ित लड़की

अचानक कान में दर्द हो तो क्या करें?

ये युक्तियाँ तुरंत राहत देने में मदद कर सकती हैं:-

  • आइबुप्रोफ़ेन (Ibuprofen) या एस्पिरिन (Aspirin) जैसी दर्दनाशक दवाओं का इस्तेमाल करें। (चिकित्सक से परामर्श किए बिना बच्चों को एस्पिरिन और इसी तरह की दवाएं देना उचित नहीं है)
  • यदि कान का दर्द दबाव में परिवर्तन के कारण होता है, तो गर्दन के व्यायाम और चबाने वाले च्यूइंग गम तत्काल राहत देते हैं।
  • हेयरड्रायर या बाल सूखाने के यंत्र का इस्तेमाल करने से कान में दर्द से राहत मिल सकती है। इसकी सेटिंग सबसे कम उष्णता पर होनी चाहिए, इसका लगातार उपयोग न करें।
  • सोने या बैठने की स्थिति को बदलने से कुछ राहत मिल सकती है। गर्दन को सहारा देने के लिए एक छोटे से मुलायम तकिए का इस्तेमाल करें। करवट लेकर न सोएं क्योकिं इससे कान पर दबाव बढ़ता है।

बच्चों में कान के दर्द की संभावना को कैसे कम करें?

बच्चों के कान में संक्रमण और कान में दर्द का खतरा अधिक होता है। बेहतर है कि सावधानी बरती जाए और बच्चों के कान में दर्द होने की संभावना को कम किया जाए।

  • कान में दर्द ज्यादातर जीवाणु (Bacterial) संक्रमण के कारण होता है। बच्चों को अपने खिलौनों के साथ खेलने के बाद या बाहर अपने दोस्तों के साथ खेल खत्म करने के बाद अपने हाथ धोने चाहिए। कान में गंदी उंगलियां डालने से संक्रमण हो सकता है।
  • बच्चों को न्यूमोकोकल टीकाकरण (Pneumococcal Conjugate Vaccine) ज़रूर मिलना चाहिए क्योकि न्यूमोकोकस नामक जीवाणु कान के संक्रमण का सबसे आम कारण है।
  • अगर बच्चा बार-बार बीमार पड़ता है तो चिकित्सक की सलाह पर खाद्य पूरक (Supplements) दें, उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करें।
  • बड़ों को बच्चों के पास धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए। वे धूम्रपान से परेशान होंगे और उन्हें श्वसन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
  • बच्चों के कान सूखे रखें, फफूंद संक्रमण से बचाव के लिए नहाने के बाद उनके कानों को सुखाएं।
  • यदि बच्चे को एलर्जी हो तो उन्हें धूल, पराग और अन्य कणों से बचाएं।
  • सर्दियों में कानो को मफलर या ईयरमफ से ढक लें।

जितना हो सके उतना शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मामूली दर्द से लड़ने दें। कान दर्द के घरलू उपाय शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में दखलंदाज़ी नहीं करते हैं।

एंटीबायोटिक दवाओं का अनावश्यक सेवन करने से बचें। बच्चों को बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श किए बिना दवा की दुकान से खरीदा दर्दनाशक दवाएँ (OTC pain killers) न दें।

यदि डॉक्टर की सलाह के बिना बहुत अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन किया जाता है, तो शरीर एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है और छोटी बीमारियों के लिए भी अधिक दवाओं की आवश्यकता पड़ती है।

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