बच्चों में न बोलने की समस्या- 6 गलतफहमियां एवं वास्तविक तथ्य

दुनिया भर के समुदायों की अपनी मान्यताएं हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चली आती हैं। यह उन समाजों में अधिक प्रचलित है जहां कुछ विषयों पर स्वतंत्र रूप से चर्चा नहीं की जाती है और शिक्षा का स्तर कम है।

बच्चों में न बोलने की समस्या आम बात हैं, और इससे संबंधित विकारों को ठीक करने के कुछ नुस्खे घर के बड़े-बुज़ुर्गों द्वारा नई पीढ़ी को सिखाए जाते हैं। इनमें से कुछ वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हैं, लेकिन कुछ गलतफहमी पैदा करते हैं और असल में बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।

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माता-पिता को जागरूक होना चाहिए ताकि वे लक्षणों का जल्द पता लगा सकें और अपने बच्चों में न बोलने की समस्या का समाधान खोज सकें। स्पीच थैरेपिस्ट (वाक् चिकित्सक) से परामर्श करें और जल्द से जल्द बच्चों के लिए स्पीच थेरेपी  शुरू कर सकें। हमने सामान्य बोलने की समस्याओं और 6 सामान्य गलतफहमियां और वास्तविक तथ्यों को नीचे सूचीबद्ध किया है।

1. बच्चों में न बोलने की समस्या और उनकी उम्र के बीच संबंध

माता-पिता अच्छी तरह से जानते हैं कि उनका बच्चा स्पष्ट नहीं बोल पाता है या हकलाता है या शब्दों का उच्चारण ठीक से नहीं करता है। वे अपने बच्चों में न बोलने की समस्या से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं। आम धारणा यह है कि समस्या उम्र के साथ दूर होती जाएगी।

  • वास्तविक तथ्य क्या है?

ऐसा नहीं है कि यह असंभव है और ऐसा नहीं हो सकता है, बहुत से बच्चे उम्र बढ़ने के साथ हकलाना बंद कर देते हैं और उनकी भाषा स्पष्ट हो जाती हैं। लेकिन राय के लिए स्पीच थैरेपिस्ट (वाक् चिकित्सक) से परामर्श करना उचित होगा। स्पीच थेरेपी (वाक् चिकित्सा) अभ्यास शुरू करने में बहुत देर नहीं होनी चाहिए। भाषा के विकास में देरी होने से पढ़ने और लिखने पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है, जो अंततः विद्यालय में बच्चे की प्रगति को प्रभावित करता है।

2. क्या बच्चा मेडिकल परीक्षण से गुज़रने के लिए बहुत छोटा है?

भाषण चिकित्सक के साथ एक छोटा बच्चा blog image
भाषण चिकित्सक के साथ एक छोटा बच्चा

कुछ माता-पिता सोचते हैं कि उनका बच्चा बहुत छोटा है और उसके मेडिकल परीक्षण करवाना जल्दबाज़ी होगी। ये मान्यताएं अवैज्ञानिक हैं क्योंकि अस्पताल कुछ दिन की आयु के शिशु के कान की समस्या का भी परीक्षण करते हैं।

  • वास्तविक तथ्य क्या है?

स्पीच थैरेपिस्ट (वाक् चिकित्सक) को मिलने में देरी करना उचित नहीं है। स्पीच थैरेपिस्ट नन्हे शिशुओं को संभालने के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञ होते हैं। बच्चे के बोलना शुरू करने से पहले वे बच्चों में न बोलने की समस्या और सुनने सम्बन्धी समस्या की अच्छी तरह से जांच कर सकते हैं।

3. क्या लड़कियां बात करने में लड़कों की तुलना में ज्यादा होशियार होती हैं?

क्या लड़कियां लड़कों की तुलना में होशियार हैं? blog image
क्या लड़कियां लड़कों की तुलना में होशियार हैं?
  • वास्तविक तथ्य क्या है?

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि लड़कियाँ लड़कों से पहले ही बोलना शुरू कर देती हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को परीक्षण में देरी करनी चाहिए, हालांकि, उम्र का अंतर ज्यादा नहीं होता है। यह एक तथ्य है, चूंकि लड़कियां पहले समझदार हो जाती हैं, इसलिए वे लड़कों की तुलना में तेजी से अन्य चीज़ें भी जल्दी सीख लेती हैं।

यदि माता-पिता को लगता है कि उनके लड़के के बोलने में कुछ देरी हो रही है, तो उन्हें समान उम्र के लड़कों के साथ उसकी तुलना करनी चाहिए। दूसरे लड़के जिन्होंने बोलना शुरू कर दिया है, उसकी तुलना अपने बच्चे से करने पर उन्हें मदद मिलेगी।

4. बच्चा बोल नहीं रहा है? क्या वह ज़िद्दी या आलसी हैं?

कम बोलने वाला आलसी बच्चा blog image
कम बोलने वाला आलसी बच्चा

कई बार, माता-पिता का मानना ​​है कि बोलने में देरी इसलिए होती है क्योंकि बच्चा जिद्दी या आलसी है और ज्यादा बात नहीं करता है।

  • वास्तविक तथ्य क्या है?

यह बहुत सामान्य बात है कि बच्चा अपने समूह के अन्य बच्चों की भाषा स्पष्ट होने के बाद भी तोतली भाषा में बोलना जारी रखता है। तो माता-पिता को लगता है कि बच्चा जिद्दी या आलसी है। यदि बच्चा “स्नान” के बजाय “नान” शब्द कहता है, तो “स” ध्वनि को खा जाता है, जबकि उसी समय में “सरल” शब्द का उच्चारण कर सकता हैं। तो वह जिद्दी या आलसी नहीं है। संभावना है कि बच्चे को चिकित्सकीय रूप से “स्वर संबंधी विकार” या “स्वर विकार” (“Phonemic Disorder”) हो सकता है। बच्चों में न बोलने की समस्या या हकलाने व तुतलाने की समस्या की पुष्टि करने के लिए बच्चे की गतिविधियों को गौर से देखें या स्पीच थैरेपिस्ट से परामर्श करें।

5. क्या विद्यालय जाने तक बच्चों में न बोलने की समस्या की पुष्टि करने का इंतजार करना चाहिए?

बच्चों में बोलने की समस्या blog image
बच्चों में बोलने की समस्या

कुछ माता-पिता स्पीच थैरेपिस्ट के पास जाने में देरी करते हैं, क्योंकि वे यह उम्मीद करते हैं कि बच्चा विद्यालय जाने के बाद बोलना शुरू कर सकता है।

  • वास्तविक तथ्य क्या है?

माता-पिता को जल्द से जल्द एक स्पीच थैरेपिस्ट (वाक् चिकित्सक) से परामर्श लेना चाहिए क्योंकि स्पीच थेरेपी (वाक् चिकित्सा) अभ्यास शुरू करने में देरी बच्चे के भविष्य को प्रभावित कर सकती है। यदि बच्चे में न बोलने की समस्या है, तो स्पीच थेरेपी (वाक् चिकित्सा) संबंधित गतिविधियों में देरी होने के कारण पढ़ने और लिखने की क्षमता में भी कमज़ोरी आएगी। यह बच्चे की शिक्षा और अच्छे रोजगार पाने की संभावना को प्रभावित करेगा। स्पीच थेरेपी (वाक् चिकित्सा) अभ्यास शुरू करने में जितनी देरी होगी, बच्चे को वापस सामान्य स्थिति में लाने में वाक् चिकित्सक को उतना ही समय लगेगा।

6. क्या मानसिक रूप से मंद बच्चों में बोलने की समस्या सामान्य है?

आम धारणा यह है कि मानसिक रूप से मंद बच्चों में भी न बोलने की समस्या होती है।

  • वास्तविक तथ्य क्या है?

ऐसे बच्चों में अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, मगर यह आवश्यक नहीं है कि यह उनके बोलने को भी प्रभावित करेगा। यह एक ज्ञात तथ्य है कि कम बुद्धि वाले बच्चों में असाधारण रूप से संवादी और विदेशी भाषा सीखने की योग्यता होती है। इसे चिकित्सा विज्ञान में “चैटरबॉक्स सिंड्रोम” (Chatterbox Syndrome) के रूप में जाना जाता है। मानसिक रूप से मंद होने पर भी बच्चे को स्पीच थैरेपिस्ट द्वारा खुद को व्यक्त करने के लिए बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जा सकता है।

त्वरित संदर्भ के लिए आयु V/s बोलने की समस्या व्यवहार तालिका

निम्नलिखित तालिका अनुमानित भाषा विकास चरणों को दर्शाता है। इससे माता-पिता को सतर्क रहने में मदद मिलेगी कि क्या उनके बच्चे में सामान्य रूप से भाषा ज्ञान विकसित हो रहा है। अपने बच्चों में न बोलने की समस्या से अवगत होने में भी सहायता मिल सकती है।

बच्चों में भाषण विकास के चरण। blog image
बच्चों में भाषण विकास के चरण।

माता-पिता को गलतफहमियां और मान्यताओं से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञ पर भरोसा करना चाहिए। अतीत में प्रचलित घरेलू उपचार भले ही पूरी तरह से गलत न हों लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में विकास एक लंबा सफर तय कर चुका है। नई प्रौद्योगिकी और बेहतर स्पीच थेरेपी (वाक् चिकित्सा) की तकनीकें बच्चों में न बोलने की समस्या को दूर कर सकती हैं और उन्हें सामान्य जीवन जी सकने में अत्यंत मददगार होती हैं।

  • घर पर स्पीच थेरेपी

माता-पिता आमतौर पर अपने बच्चों के प्रति सुरक्षात्मक भावनाएँ व व्यवहार रखते हैं और सामाजिक धब्बे के डर के कारण स्पीच थैरेपिस्ट (वाक् चिकित्सक) के पास जाने में कसमसाते हैं। आज के युग में इंटरनेट सुविधा के कारण बच्चों को स्पीच थेरेपी क्लिनिक (वाक् चिकित्सा अस्पताल) जाए बिना भी आराम से घर पर की जा सकती है। घर पर स्पीच थेरेपी के फायदों के बारे में पढ़ें और स्पीच थैरेपिस्ट से जल्द से जल्द संपर्क करने में संकोच न करें।

बच्चों में न बोलने की समस्या उनकी रोजमर्रा की ज़िन्दगी को मुश्किल बना सकती है। इसलिए समय पर इसका उपचार होना अति आवश्यक है।

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