हकलाने का इलाज – स्पीच थेरेपी

कई बार बच्चे बात करते समय बीच में ही रुक जाते हैं, ऐसा लगता है जैसे वे अपने मन में सही शब्द खोज रहे हैं। यदि बोलने में अटकना कभी-कभार होता है तो यह पूरी तरह से सामान्य है, लेकिन अगर बोलने में कठिनाई बहुत बार होती है तो यह हकलाने का संकेत हो सकता है। बोलने में अटकना या हकलाना बच्चों में बोलने की एक आम समस्या है। लगभग 10% बच्चे हकलाते हैं, जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं हकलाने की समस्या कम हो जाते हैं।

2 से 3 वर्ष की आयु में अधिकांश बच्चों में हकलाना गायब हो जाता है, इस उम्र के बाद 10 में से लगभग 2 या 3 बच्चे स्थायी हकलाने की समस्या से पीड़ित होते हैं। यह जरुरी है की माता-पिता को अपने बच्चों के भाषण पर ध्यान देना चाहिए, और अगर उन्हें लगता है कि उनके बच्चे का हकलाना कम नहीं हो रहा है, बल्कि बढ़ रहा है, तो इसकी जाँच के लिए और सही इलाज के लिए एक स्पीच थेरेपिस्ट या स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए। स्पीच थेरेपी एक बहुत ही प्रभावी हकलाने का इलाज है। हकलाने को रोकने के लिए स्पीच थैरेपिस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

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विषय-सूची

हकलाना क्या होता है?

हकलाना एक भाषण विकार है जिससे बोलने में कठिनाई होती है। हकलाना हमारे बोलने में अटकना  और बात करने में बाधा डालता है। हकलाने की समस्या हमारे भाषा प्रवाह या भाषण संचार को प्रभावित करती है। विश्व स्तर पर, 7 करोड़ से ज्यादा लोग हकलाने की समस्या से पीड़ित हैं। पुरुष, स्त्रियों की तुलना में 4 गुना ज्यादा हकलाने से पीड़ित है।

हकलाने के लक्षण क्या हैं?

हकलाने से पीड़ित बच्चे निम्नलिखित स्वभाव में से किसी एक संकेत को दिखाते है।

दोहराव या दोहराना

दोहराव या दोहराना – एक ही शब्द या ध्वनि को बार-बार दोहराते हुए बात करना है, उदाहरण के लिए “और … और … और मैं जानना चाहता था”।

” य_ _ य _ _ य _ _हाँ_ _ हाँ_ _ आओ” के रूप में एक ही शब्दांश को बार-बार दोहराना या बोलने में अटकना।

शब्द को लंबा खींचना

हकलाने से पीड़ित व्यक्ति कुछ-कुछ शब्दों को लम्बा खींचता है; उदाहरण के लिए, “यह चित्र सुं..सुं..सुं..सुं..सुंदर है”

बोलने में अटकना या बोलने में रुकावट

इस मामले में, व्यक्ति के मुंह और चेहरे की मांसपेशियां कुछ शब्द बोलने के लिए बनती हैं, लेकिन सामने वाला व्यक्ति उसे सुन या समझ नहीं पाता है।

हकलाने के अन्य लक्षण क्या हैं?

  • अन्य शारीरिक गतिविधियां जैसे पैर हिलाना, बैठने की या कोई भी काम करने की मुद्रा में परिवर्तन। हाथ बंद मुट्ठी बन जाते हैं और जब बच्चा बोलने की कोशिश करता है तब उसके मुंह और चेहरे की मांसपेशियों में तनाव के निर्माण जैसी अतिरिक्त शारीरिक हलचलें दिखाई देते है। और बच्चा बोलते समय आँख से आँख मिलाने से बचने की कोशिश करता है।
  • श्वास में परिवर्तन; सांस लेना अनियमित हो जाता है, बच्चा या तो अपनी सांस रोक कर रखता है या एक गहरी सांस लेता है।
  • कुछ बच्चे समझ जाते है और अगर उन्हें कुछ गड़बड़ लगती है तो तुरंत शब्दों को बदल देते हैं या दूसरे शब्द का उपयोग करते हैं।
  • चेहरे की मांसपेशियों का हिलना और आंखों का तेजी से झपकना हकलाने का एक और संकेत है ।

बच्चों में हकलाने का क्या कारण है?

बच्चों में भाषण विकार blog image
बच्चों में भाषण विकार

चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, इसका कोई एक कारण नहीं है। अलग-अलग कारण और परिस्थितियां लोगों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकती हैं। क्योंकि सभ का हकलाने का तरीका एक जैसा नहीं होता है। आइए हम कुछ ऐसे कारणों का पता लगाएं जो बच्चों में हकलाने का कारण बन सकते हैं।

क्या हकलाने की समस्या पीढ़ी-दर-पीढ़ी हो सकती है?

अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि हकलाना वंशानुगत है और यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी चल सकता है। ज्यादातर मामलों में, परिवार के किसी करीबी सदस्य को हकलाने की समस्या होती है तो यह बच्चों में भी आ सकती है।

क्या हकलाना विलंबित भाषण विकास से जुड़ा हुआ है?

विशेषज्ञों ने बच्चों में हकलाने और भाषण संबंधी अन्य समस्याओं के बीच एक मजबूत संबंध पाया है। यदि बच्चे को बोलने में कुछ अन्य समस्या है तो बच्चे में हकलाने की सम्भावना और अधिक बढ़ जाती है। इस मामले में, यह पहले से ही विलंबित भाषण विकास के कारण बच्चे की बातचीत करने में या बातचीत करने के तरीके में रुकावट पैदा करता है । इस प्रकार के हकलाने को विकासात्मक हकलाने (Developmental Stammering) के रूप में भी जाना जाता है।

तंत्रिकाजन्य हकलाना क्या है?

तंत्रिकाजन्य या न्यूरोजेनिक हकलाना (Neurogenic Stammering) का अर्थ है तंत्रिका तंत्र (Nervous system) में दोष या समस्याओं के कारण हकलाना। न्यूरोजेनिक हकलाने के कारण इस प्रकार हैं:

  • मस्तिष्क का आघात या एक शारीरिक चोट से भी तंत्रिकाजन्य हकलाना हो सकता है।
  • दिल का दौरा या ब्लॉकेज भी कान तक बहने वाले रक्त प्रवाह को रोक सकता है
  • मस्तिष्क के क्षेत्र में ट्यूमर होना।
  • तानिकाशोथ (मेनिनजाइटिस) भी इसका एक कारण है।

क्या चिंता और तनाव हकलाने के मनोवैज्ञानिक कारण हैं?

एक समय में चिकित्सा विज्ञान का मानना ​​था कि हकलाने का मनोवैज्ञानिक कारण या चिंता और तनाव प्राथमिक कारण है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि चिंता और तनाव हकलाने के मनोवैज्ञानिक कारण नहीं हैं, लेकिन वह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हकलाने की शुरूवात का कारण है। हकलाने का मनोवैज्ञानिक कारण को साइकोजेनिक हकलाने (Psychogenic factors) के रूप में भी जाना जाता है।

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि कुछ मामलों में, हकलाने वाले और न हकलाने वाले लोगो के मस्तिष्क अलग अलग तरीके से भाषण की प्रक्रिया करता है।

हालांकि कुछ बच्चे हकलाते हैं, लेकिन उनकी बुद्धिमत्ता या बौद्धिक क्षमता किसी भी तरह से दुसरे न हकलाने वाले बच्चो से कम नहीं होती है। क्योंकि वे स्पष्ट रूप से बात नहीं कर सकते हैं यह उन्हें आत्म-जागरूक बनाता है। उनकी अक्षमता उन्हें संकोची बना देती है और वे शर्मिंदगी के कारण बात करने में संकोच करते हैं।

बच्चे में हकलाने की समस्या के बारे में किस उम्र में चिंता करनी चाहिए?

बच्चों के बोलने की सही उम्र 18 से 24 महीने है, हालांकि वे 6 महीने से बोलना शुरू करते हैं, वे 18-24 महीने की आयु से पूर्ण वाक्यों का उपयोग करते हैं। बच्चे सामान्य रूप से एक से पांच वर्ष की उम्र तक हकलाते हैं। बोलने में रुकावट अनियमित हो सकती है और कई बार यह बढ़ती उम्र के साथ गायब भी हो सकती है। यदि बच्चा एक साथ बहुत दिनों तक नहीं हकलाता है और फिर थोड़ा हकलाता है, तो यह उत्तेजना या नई चीजें सीखने का अनुभव हो सकता है। लेकिन अगर औसतन एक बच्चा 10% से अधिक हकलाता है, तो स्पीच थैरेपिस्ट से परामर्श करना उचित है।

क्या हकलाने का इलाज उपलब्ध है?

हकलाने के इलाज के लिए विभिन्न तरीके हैं, हालांकि हकलाने के लिए स्पीच थेरेपी के लाभ अन्य उपचारों की तुलना में बहुत ज्यादा उपयोगी है।

हकलाने के विभिन्न इलाज क्या हैं?

  • हकलाने के लिए स्पीच थेरेपी
  • सीबीटी (CBT – Cognitive behavioural Therapy) या संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा
  • इलेक्ट्रॉनिक प्रतिक्रिया उपकरणों का उपयोग
  • दवाएँ
  • माता-पिता और बच्चों के बीच बातचीत

क्या हकलाने की समस्या के लिए स्पीच थेरेपी मदद करता है?

बच्चों में होने वाली हकलाने की समस्या के लिए स्पीच थेरेपी सबसे प्रभावी उपचार है। हकलाने के निदान की पुष्टि हो जाने के बाद, नियमित स्पीच थेरेपी अभ्यास शुरू करें। एक स्पीच थैरेपिस्ट बच्चों के साथ-साथ वयस्कों में भी हकलाना ठीक कर सकते है।

बच्चे की पिछली सभी मेडिकल रिपोर्ट्स को स्पीच थैरेपिस्ट को दिखाए ताकि वे मामले को बेहतर ढंग से समझ सकें। एक बार जब स्पीच थैरेपिस्ट बच्चे के पिछली सभी मेडिकल इतिहास से परिचित हो जाते है, तो वह स्पीच थेरेपी अभ्यास की शुरुआत करेंगे।

स्पीच थेरेपी अभ्यास भाषण या बात करने के लिए जिम्मेदार अंगों को मजबूत करने में मदद करता है। श्वास व्यायाम भी चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्पीच थेरेपी अभ्यास भाषण के लिए जिम्मेदार निम्नलिखित भागों या अंगों को मजबूत करने में मदद करता है:

  • जीभ
  • जबड़े
  • होंठ और चेहरे की मांसपेशियां
  • फेफड़े
  • श्वासनली या ट्रेकिआ (Trachea)

हकलाने के लिए कौनसी स्पीच थेरेपी एक्सरसाइजेज होती हैं?

स्पीच थैरेपिस्ट अभ्यास शुरू करने से पहले बहुत सारी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए अनुकूलित करेंगे, क्योंकि सबकी हकलाने की समस्या समान नहीं होती है।

स्पीच थेरेपी के कुछ सामान्य अभ्यास निम्नानुसार हैं:

  • जीभ और जबड़े की मजबूती

बच्चे को मुंह खुला रखना चाहिए और जीभ को पीछे करना चाहिए। जीभ को मुंह के ऊपर की तरफ जितना संभव हो गले तक पहुंचना चाहिए।

अब जीभ को बाहर की ओर घुमाएं और इसे सामने की तरफ फैलाएं, जीभ को मुंह से बाहर आना चाहिए और ठोड़ी तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। रोजाना व्यायाम करने से जीभ मजबूत होती है। जीभ के व्यायाम के लिए मुंह खुला रखने से भी जबड़े की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।

  • स्ट्रॉ स्पीच थेरेपी तकनीक

स्ट्रॉ (Straw) के माध्यम से कुछ पीना या चुसना एक बहुत ही मददगार स्पीच थेरेपी व्यायाम है। इससे जीभ पर नियंत्रण करने में मदद मिलती है।

  • “रुकना और फिर वापिस बोलना” स्पीच थेरेपी तकनीक

बच्चे को पहले से तय तरीके से हर दो से तीन शब्दों के बाद विराम देना चाहिए। यह उन्हें अपने बोलने पर एक बेहतर भाषण नियंत्रण देता है और हकलाने की समस्या को कम करने में मदद करता है।

  • हकलाने की समस्या कम करने के लिए साँस लेने के व्यायाम
हकलाने का इलाज करने के लिए साँस लेने का व्यायाम blog image
हकलाने का इलाज करने के लिए साँस लेने का व्यायाम

साँस लेने के एक्सरसाइज (Breathing exercises) बहुत जरूरी हैं। उचित लयबद्ध साँस लेने की तकनीक फेफड़ों को मजबूत करने और और अधिक ऑक्सीजन को अंदर लेती है जिससे मस्तिष्क को मदद मिलती है। गहरी साँस लेने के व्यायाम के लिए पेट का उपयोग करें न कि छाती का।

सांस लेने की तकनीक और इसमें शामिल मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए योग प्राणायाम भी बहुत फायदेमंद हैं।

  • स्वर वर्ण का उच्चारण करने की तकनीक

बच्चे को “ए”, “ई”, से “यू” तक सभी स्वर वर्ण का उच्चारण जोर से और स्पष्ट रूप से करना चाहिए। यह जीभ के साथ-साथ चेहरे की मांसपेशियों को व्यायाम करने में भी मदद करता है।

  • धीमी गति से बोलने का व्यायाम

ज्यादातर बच्चे तेज गति से बोलते हैं। बच्चे को आईने के सामने खड़े होकर धीरे-धीरे बोलना चाहिए। यह आईने में देखने से प्राप्त ऑडियो-विज़ुअल फीडबैक Audio-visual Feedback) के कारण जीभ और मस्तिष्क के बीच बेहतर समन्वय में मदद करता है।

  • पढ़ने की तकनीक

बच्चे को धीरे-धीरे से पढ़ना चाहिए और प्रत्येक शब्द को धीरे और शांति से उच्चारण करना चाहिए। यह शब्दों के गलत उच्चारण के डर और चिंता को दूर करता है। निरंतर अभ्यास से संचार कौशल में भी सुधार होता है ।

  • शब्दों का चयन

कुछ बच्चे विशेष शब्दों पर हकलाते हैं, और ये शब्द हकलाने के लिए एक ट्रिगर   या हकलाने की शुरूवात का कारण बन जाते हैं। आपका स्पीच थैरेपिस्ट इन ट्रिगर शब्दों का उपयोग करने के डर को दूर करने में मदद कर सकता है, या बच्चा इन शब्दों को बोलने से बच सकता है और उसी अर्थ के साथ वैकल्पिक शब्द का उपयोग कर सकता है।

  • सीबीटी या संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा हकलाने के इलाज में कैसे मदद करता है?

सीबीटी (CBT – Cognitive Behavioural Therapy) या संज्ञानात्मक व्यवहारपरक  थेरेपी न केवल हकलाने की समस्या के लिए एक उपचार है बल्कि यह कई स्वभाव संबंधी मुद्दों के लिए उपचार है। चिकित्सक बच्चे को शांत करता है और उनके दृष्टिकोण या स्वभाव को बदलता है। हकलाने के मामले में सीबीटी चिंता और सामाजिक भय को कम करने में मदद करता है।

अगर हकलाना मामूली है और चिंता के कारण, तनाव निर्माण के कारन है तो सीबीटी मददगार है । अगर हकलाना शारीरिक चोटों के कारण है तो यह ज्यादा मदद नहीं करता है।

  • हकलाना ठीक करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रतिक्रिया उपकरणों का उपयोग कैसे करें?

विलंबित श्रवण प्रतिक्रिया उपकरण (Delayed Auditory Feedback Device)) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। इसमें एक माइक्रोफोन, हेडफ़ोन और इसी के साथ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं। बच्चा माइक्रोफोन में बोलता है और थोड़ी देरी से हेडफ़ोन के माध्यम से अपने ही द्वारा बोली गयी आवाज को सुनता है। इलेक्ट्रॉनिक DAF या विलंबित श्रवण प्रतिक्रिया उपकरण (Delayed Auditory Feedback) का उपयोग इस सिद्धांत पर आधारित है कि यदि कोई बच्चा दूसरों के साथ बातचीत करता है या एक ही बात को बार-बार दोहराता है, तो यह हकलाने को कम करने में मदद करता है। इस मामले में, बच्चा DAF के साथ बोलता है न कि किसी अन्य व्यक्ति के साथ। यह प्रभाव कोरल प्रभाव (Choral Effect) है।

क्या हकलाने की दवा उपलब्ध है?

यह बहुत आम है कि माता-पिता अपने बच्चों की हकलाने की समस्या का इलाज चाहते हैं। हम अक्सर सवाल सुनते हैं कि हकलाने की दवा बताये? कुछ लोगों का मानना ​​है कि हकलाने की होम्योपैथिक दवा या हकलाने की आयुर्वेदिक मेडिसिन उपलब्ध है।

सच्चाई यह है कि ऐसी कोई भी दवा नहीं बनी है जो इस हकलाने की समस्या को ठीक कर पाए। ज्यादातर डॉक्टर चिंता और अवसाद रोधी दवाओं का उपयोग करने की सलाह देते है। ये दवाईया हकलाने की समस्या के इलाज के लिए अन्य चिकित्सा गतिविधियों के साथ काम करती हैं। दवाईया सीधे उपचार या हकलाने का इलाज नहीं होती है। ये दवाएँ केवल तब उपयोगी होती हैं जब तनाव या चिंता का स्तर अधिक होता है जिससे हकलाने की शुरूवात हो सकती है। यह दवाएँ हकलाने के उपचार के लिए निर्धारित नहीं है, लेकिन चिंता और अवसाद को कम करने के लिए है जो कुछ महीनों तक रह सकता है।

हकलाने की समस्या को कम करने में अभिभावक-बाल सहभागिता के लाभ

चिकित्सा का पहला कदम घर पर शुरू होता है। माता-पिता को अपने बच्चे के बोलने के तरीके को बदलना चाहिए। कुछ सरल परिवर्तन बच्चे को बाहर आने में मदद कर सकते हैं और भाषण विकार के प्रति सचेत होना चाहिए और भाषण विकार के बारे में पता होना चाहिए।

  • माता-पिता को अपने बच्चो से प्रसन्न स्वर में धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से बात करनी चाहिए।
  • बच्चे को बोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, और माता-पिता को उनकी बातें ध्यान से सुनना चाहिए।
  • बात करते समय हर समय आंखों का संपर्क बनाना चाहिए।
  • जब बच्चे बात कर रहे हों, तो उन्हें बिच में न टोके, उन्हें बोलने का समय दें।
  • बच्चों से ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें। खेल, स्कूल में होने वाली घटनाओं के बारे में या दोस्तों के बारे में, कहानियों के बारे में चर्चा करें।
  • एक खुशहाल और तनाव मुक्त पारिवारिक माहौल बनाए रखें और माता-पिता को बच्चों के सामने बहस नहीं करनी चाहिए।
  • बच्चे को सही तरीके से बोलने के लिए न डांटें और न ही उन्हें स्पष्ट बोलने के लिए कहें।
  • बातचीत करने के लिए छोटे वाक्यों का प्रयोग करें।

वयस्कों में हकलाने के क्या कारण हैं?

वयस्कों में हकलाना, जिसे एडल्ट डिसफ्लुएंसी (Adult Dysfluency) के नाम से भी जाना जाता है, ये किसी भी उम्र में हो सकता है। वयस्कों में हकलाने के कारण बच्चों से भिन्न होते हैं, आइए जानें कि आदमी हकलाता क्यों है?

वयस्कों में हकलाने की समस्या के प्राथमिक कारण हैं:

वयस्कों में स्पास्टिक डिस्फोनिया

स्पास्टिक डिस्फ़ोनिया (Spastic Dysphonia) से पीड़ित वयस्कों में एक रुकावट या स्वरयंत्र में मांसपेशी का अनैच्छिक हिलने या ऐंठन (Spasms) से होता है। स्पास्टिक डिस्फ़ोनिया भी स्वरयंत्र पर किसी तरह की चोट या ठंड के कारण हो सकता है। यह मध्य उम्र के लोगो में भी हो सकता है ।

वयस्कों में न्यूरोजेनिक हकलाना

बच्चों की तरह ही, न्यूरोजेनिक हकलाना (Neurogenic Stammer) वयस्कों में भी हो सकता है, अधिकांश कारण सामान्य हैं।

  • मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले सिर पर एक आघात या एक शारीरिक चोट
  • दिल का दौरा या रक्त वाहिकाओं में रुकावट, सिर में रक्त के प्रवाह को रोकती है
  • मस्तिष्क के क्षेत्र में ट्यूमर
  • पार्किंसंस जैसे रोग

वयस्कों में हकलाने के मनोवैज्ञानिक कारण

कामकाजी वयस्क भी मनोवैज्ञानिक हकलाने से पीड़ित होते हैं। वास्तविक जीवन में बहुत सारा काम और जो काम करना चाहते है उन्हें पूरा न कर पाने की अक्षमता वयस्कों में एक ट्रिगर या हकलाने की शुरूवात का कारण हो सकता है।

क्या स्पीच थेरेपी से वयस्कों को हकलाने की समस्या से लाभ  मिल सकता है?

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वयस्कों के लिए स्पीच थेरेपी

बुजुर्गों और वयस्कों को भी स्पीच थेरेपी से फायदा होता है। वयस्कों के मामले में, उपचार मनोवैज्ञानिक कारणों पर केंद्रित होता है । जब तक हकलाना किसी शारीरिक दुर्घटना के कारण न हो तब तक आधारभूत मुद्दों का इलाज करना महत्वपूर्ण है। वयस्कों को उपचार शुरू करने में संकोच नहीं करना चाहिए क्योंकि हकलाना उनके पेशेवर विकास को प्रभावित कर सकता है। लोग समाज से कटने लगते है या लोगो के साथ मिलना-जुलना कम कर देते है और डिप्रेशन में भी जा सकते है।

वयस्क सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्वयं सहायता समूहों (Self-help groups) से भी जुड़ सकते हैं। सहायता समूह बहुत सहायक होते हैं क्योंकि समूह के सदस्य व्यावहारिक अनुभवों पर चर्चा करते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं।

हकलाने का कोई चमत्कारिक इलाज नहीं है। यद्यपि उपरोक्त सभी सुझाव मदद करते हैं, हकलाने के लिए स्पीच थैरेपिस्ट से होने वाले लाभ सबसे ज्यादा मददगार साबित होते है। हकलाने के लिए टेलीथैरेपी या ऑनलाइन स्पीच थेरेपी व्यक्ति अपने घर बैठे भी कर सकता है।

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