बहरापन से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति अनगिनत चुनौतियों और चिंताओं का अनुभव करता है। हमारे श्रवण विशेषज्ञों की टीम से शिशुओं एवं बच्चों में बहरेपन से सम्भंदित कई प्रश्न पूछे जाते हैं। हमने आप सभ की सहायता के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQs) और उत्तरो की एक सूची बनाई है। शिशुओं एवं बच्चों में बहरापन से संबंधित जानकारी सभी माता-पिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इस विषय पर आपके अपने कुछ प्रश्न और संदेह हो सकते हैं जो नीचे दी गई सूची में शामिल नहीं हैं। यदि ऐसा है, तो आप हमारे श्रवण विशेषज्ञों से पूछ सकते हैं। हम सुनिश्चित करेंगे कि आपको उत्तर मिले और हम आपके बच्चे की सुनने की समस्याओं का सबसे अच्छा समाधान खोजने में आपकी मदद करेंगे। इस earKart hearing devices expert लिंक पर क्लिक करें और अपनी सभी सुनने की समस्याओं के लिए बिना किसी झिझक के हमसे संपर्क करें।
शिशुओं एवं बच्चों में बहरापन से संबंधित प्रश्न
हम कैसे पता कर सकते हैं कि बच्चे मे सुनने की क्षमता कम है या बहरापन है?
नवजात शिशु में बहरापन आमतौर पर साइटोमेगालोवायरस (Cytomegalovirus) संक्रमण या अनुवांशिक दोषो के कारण होती है।
बड़े बच्चों में कान के संक्रमण से या कान में मैल के कारण सुनने की क्षमता कम हो जाती है।
- यदि बच्चा ध्वनि पर प्रतिक्रिया नहीं देता जैसे कि खिलौने की ध्वनि पर या आसपास किसी यंत्र की ध्वनि पर तो इसे संकेत समझना चाहिए कि बच्चे की श्रवण क्षमता में कहीं कमी है।
- बोलने या बात करने में बच्चे को कोई कठिनाई होती हो और बच्चा धीमी गति से बोलना शुरू करता हो तो तभी समझना चाहिए कि उनकी सुनने की छमता क्षीण हैं।
- बच्चा यदि ऊंची आवाज से विचलित ना हो या हड़कंप ना मचाता हो बात करने पर जवाब ना देता हो और सिर्फ मुस्कुरा देता हो तो भी ध्यान दें कि शायद उसे सुनने में कठिनाई है।
किन कारणों से बच्चों में बहरापन हो सकती है?
बहरापन के बहुत से कारण हो सकते हैं जिनके कारण कम या बिल्कुल भी सुनाइए ना पढ़ने की स्थिति बच्चों में देखी जा सकती है। कुछ उदाहरण है जो बच्चों में अधिग्रहित बहरापन का कारण बन सकते हैं। जैसे-
- ओटिटिस मीडिया या मध्यकर्णशोथ
- ऑटोटॉक्सिक दवाएँ (कान के लिए विषाक्त)
- मस्तिष्कावरण शोथ
- खसरा
- ऐन्सेफलाईटिस (मस्तिष्कशोथ)
- छोटी माता
- इन्फ्लुएंज़ा
- कण्ठमाला
- कोई मानसिक कष्ट या चोट
घर पर अपने बच्चों की सुनाई क्षमता कैसे जांच सकते हैं?
घर में कोई शांत जगह जहां टीवी, फ्रिज या अन्य किसी उपकरण का शोर आवाज ना हो उस स्थान को जांच उपकरण स्थापित करने के लिए नियुक्त कर लें। परीक्षण यंत्र के पास बच्चे को आराम से बिठाए, सुनिश्चित करें कि बच्चे का पेट भरा हो और वह अच्छी तरह आराम कर चुका हो।
बहुत छोटे बधिर बच्चे कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं?
बहुत छोटे बच्चे में बधिरापन समझना काफी कठिन होता है, इसलिए बच्चों में बहरापन से संबंधित जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि बहरापन एक कान में है तो बच्चा आपकी बात या कोई ध्वनि सुनने के लिए हर बार ‘अच्छा’ कान ध्वनि की दिशा मे मोड़ देगा। वह शायद ही संगीत की तरफ प्रभावित होगा। अन्य बच्चों की तुलना में ऐसा बच्चा कम अनु क्रियाशील होता है। जन्म के 6 माह के भीतर ओटोकास्टिक उत्सर्जन परीक्षण (Otoacoustic Test) बहरापन जांचने में लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
हमें कब चिंतित होना चाहिए कि बच्चा बात नहीं कर रहा है?
शुरू के तीन साल बच्चे के बहरेपन जानने की स्थिति, खोज और अविश्वसनीय विकास से भरे होते हैं। बच्चा खड़ा होना और चलना आराम से सीख जाता है। परंतु बोलना सीखने में कठिनाई होती है। प्रमुखता अगर निम्नलिखित समय अवधि में बच्चा बोल नहीं रहा या ध्वनियों पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा हो तो डॉक्टर का परामर्श लेना चाहिए।
- 12 महीने की उम्र पूरी होने पर इशारों को ना समझ पाना जैसे अलविदा कहने पर प्रक्रिया ना देना।
- 15 महीने की उम्र पर भी बच्चा बड़बडाता ना हो और ध्वनिया ना निकालता हो।
- 18 महीने की उम्र पर सिर्फ आपके इशारों को प्राथमिकता देता है। और आपके सवांदो और ध्वनियों कि ना ही नकल कर पाता हो और ना ही उत्तर देता हो।
बधिर या मूक बच्चों के अभिभावक या परिवार जन किंन उपायों से समस्या का समाधान कर सकते हैं?
एक बच्चे का सही उपचार इस बात पर निर्भर करता है की समस्या किस कारण से उत्पन्न हुई है और वह कितना सुन पाता है।विशेषज्ञों का मानना है कि समस्या का समाधान शुरू के महीनों में होना चाहिए तो बच्चे भाषा की परेशानी से बच सकते हैं।
ओटिटिस मीडिया की दवा, कान की नलियाँ इनके अलावा भी दूसरे तरीकों से समस्या का निदान किया जा सकता है। यदि समस्या का पता चल जाए तो एक महीने के बच्चे के कान में कान की मशीन लगाई जा सकती है। सही कीमत पर सही कान की मशीन चुनने में उचित मार्गदर्शन के लिए earKART से संपर्क करें। एक श्रवण विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि बच्चे को सही उपकरण मिले।
दूसरा उपाय है कि समय से कोक्लियर इंप्लांट जो एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है वह लग जाए। यह आमतौर पर उन बच्चों को लगाया जाता है जिन्हें सुनने में गंभीर समस्या है और श्रवण यंत्रों ने विशेष लाभ नहीं किया है।
विकलांग व्यक्ति शिक्षा अधिनियम (आई. डी. ई. ए.) के अधीन बहरेपन से पीड़ित बच्चे अपने स्कूल के वर्षों के दौरान पैदा होने के समय से सहायता के हकदार हैं। प्रारंभिक सहायता बच्चे के भाषण या हस्ताक्षर या दोनों के मिश्रण के माध्यम से संवाद करना सिखा सकती है।
यदि बच्चे को स्कूल में निरंतर सहायता की आवश्यकता है तो यह देखने के लिए कि आप इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं उनके प्रशासकों के साथ काम कर सकते हैं।
कुछ सरकारी स्कीम उपलब्ध है जहां सभी विकलांगों के लिए सहायता विकल्प सुनिश्चित किए गए हैं।
- दिव्यंजन स्वावलंबन योजना
- दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना (डी. डी. आर. एस.)
- विकलांग व्यक्तियों के लिए सहायता (ए. डी. आई. पी.)
- सुगम्य भारत अभियान
- सर्व शिक्षा अभियान
- राष्ट्रीय बालक स्वास्थ्य योजना
यदि आपको शिशुओं एवं बच्चों में बहरापन से संबंधित जानकारी की आवश्यकता हो तो हमसे संपर्क करने में संकोच न करें।
लेखक
श्रीमति मोनिका मिश्रा (M.Sc,B.Ed,FIHCM) वर्तमान में EARKART कम्पनी में VICE PRESIDENT-OPERATIONS के रूप में कार्यरत्त है । कम्पनी में कार्यभार के अतिरिक्त स्वास्थय सम्बन्धी विषयों पर विचार लेख लिखना एवं BLOGS के माध्यम से समस्याओं का हल बताना भी उनमें एक उत्तम शैली है।