शिशुओं के कान में संक्रमण के 8 संकेत – कारण और सावधानियां

नए बने माता-पिता की दुनिया उनके बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है, कोई भी माता-पिता अपने बच्चे की रोने की आवाज को सहन नहीं कर सकता है। शिशुओं के कान में संक्रमण (ear infection) बहुत आम बात है, वास्तव में, यह सर्दी और खांसी के बाद दूसरी सबसे आम बीमारी है। शिशुओं के कान में संक्रमण के इन 8 संकेतों तथा इसके कारण और सावधानियां से सभी माता-पिता को परिचित होना चाहिए।

वयस्कों को भी कान में संक्रमण होने का खतरा होता है, खासकर बारिश के दौरान। मानसून के दौरान  कान में संक्रमण को कैसे रोकें, इस बारे में हमारा लेख जरूर पढ़े।

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शिशुओं में कान संक्रमण के क्या लक्षण हैं?

बच्चों में कान के संक्रमण के 8 सामान्य कारण नीचे वर्णित हैं।

1. छोटे बच्चों के कान में खुजली होना।

जब छोटे बच्चों के कान में खुजली होती है तो बच्चा अपने कानों को खींचता है या कानों को टटोलता रहता है, इस हरकत से हमें पता चलता है कि कुछ उन्हें परेशान कर रहा है। अगर कान खींचना रोने के साथ होता है, तो कान के संक्रमण की संभावना अधिक होती है।

माता-पिता को इन बातो पर ध्यान देना चाहिए, और हो सकता है कि छोटे बच्चों के कान में खुजली या कान खींचने का कारण उसके दांत निकलना भी हो। यदि संदेह है, तो बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित है।

2. शिशु चिड़चिडेपन के लक्षण दिखाता है।

यह एक बहुत ही सामान्य सा संकेत है, एक माँ तुरंत महसूस करेगी कि कुछ ना कुछ बच्चे को परेशान कर रहा है। एक परेशान बच्चा बहुत बेचैन हो जाता है और वह न तो सोता और न ही खाता है। हालांकि, यह अन्य बीमारियां के लक्षण भी हो सकते हैं।

3. शिशु सुलाने पर अधिक रोता है।

लेटने पर रोना भी कान में संक्रमण के संकेतों में से एक है। जब शिशु अपनी पीठ के बल लेटता है तो श्रवण नलीका या यूस्टेशियन ट्यूब (Eustachian Tube) पर दबाव बढ़ जाता है। यूस्टेशियन ट्यूब एक नली है जो कान को गले से जोड़ती है, यह बाहरी कान और मध्य कान के दबाव को बराबर रखती है। संक्रमण के कारण यूस्टेशियन ट्यूब में सूजन आ जाती है जो नली में रुकावट का कारण बनता है। इस  सूजन के कारण कान मेंदबाव बराबर नहीं हो पाता। मध्य कान में दबाव बढ़ने से असुविधा या दर्द होता है।

4. बच्चे को बुखार आना।

हालांकि बुखार के और भी कई कारण हैं। ध्यान दें कि बुखार कब होता है, यदि बुखार सर्दी या ठंड और खांसी के तुरंत बाद होता है तो संभावना है कि इसकी वजह कान में संक्रमण है।

5. बच्चे के कान से अप्रिय गंध।

यदि बच्चे के कान से एक अप्रिय गंध का उत्सर्जन होता है, तो यह कान में संक्रमण की पुष्टि है। कान में मवाद या पूय के निर्माण के कारण एक गन्दा और अप्रिय गंध उत्सर्जित होती है।

6. बच्चे के कान से मवाद।

कानों से मवाद आना शिशुओं के कान में संक्रमण की एक और पुष्टि है। यदि आप कानों से पीले या सफेद तरल निकलते हुए देखते हैं तो यह कान के परदा में छिद्र (Eardrum perforation) का संकेत है। कई बार कान के परदे में छिद्र या एक छोटा छेद हो जाता है जिसके माध्यम से संचित तरल बाहर निकलता है।

इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि संक्रमण ठीक होने पर कान का परदा ठीक हो जाएगा या छिद्र अपने आप बंद हो जाता है ।

7. कान में संक्रमण के कारण शिशु आवाज की तरफ ध्यान नहीं देता है।

इसमें बच्चा ठीक से सुन नहीं सकता है और जब कोई उससे बात करता है तो वह जवाब नहीं देता है जैसा कि वह आमतौर पर देता है। इसका कारण यह है कि बच्चे के कानों में रुकावट है।(Ear blockage) यह रुकावट कानों में संक्रमण के कारण द्रव जमा होने (Fluid accumulation) के कारण होती है। यह रुकावट ध्वनि तरंगों को आंतरिक कान (Inner ear) तक पहुचने नहीं देती है। यह बहरेपन अस्थायी है, रुकावट खुलने पर बच्चा सामान्य रूप से सुन सकेगा।

8. शिशु को कम भूख लगना या दस्त होना।

बच्चा कुछ घूंट लेने के बाद दूध पीने से इनकार कर देगा क्योंकि निगलने की क्रिया से उसके कानों में दर्द और असुविधा होती है। कम प्रतिरक्षा (Low immunity) के कारण संक्रमण के साथ कभी-कभी दस्त भी होता है।

शिशुओं के कान में संक्रमण के मुख्य कारण क्या हैं?

शिशुओं को अक्सर कान का संक्रमण क्यों होता है? शिशुओं में बार-बार कान के संक्रमण के 3 मुख्य कारण हैं।

1. मौसम के कारण सर्दी होना।

सामान्य सर्दी शिशुओं के कान में संक्रमण का एक मुख्य कारण है। अध्ययनों से पता चलता है कि 23% शिशुओं को एक वर्ष की आयु तक सर्दी होती है। और 80% बच्चों को चार साल की उम्र तक पहुंचने तक एक बार से अधिक सर्दी और खांसी होती है।

ठंड के दौरान यूस्टेशियन ट्यूब अवरुद्ध हो जाता है। इससे यूस्टेशियन ट्यूब में पानी का ठहराव होता है। पानी के संचय से जीवाणुओं की वृद्धि होती है।

वायरल संक्रमण भी कान संक्रमण के कारणों में से एक है। बाल रोग विशेषज्ञ निरीक्षण करके निर्धारित करेंगे कि क्या संक्रमण जीवाणु या वायरस के कारण है।(Bacterial or Viral infection)

2. शिशुओं में कम प्रतिरक्षा।

चूंकि शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) अभी भी विकसित हो रही होती है, इसलिए एक मामूली संक्रमण पर भी तुरंत ध्यान देना चाहिए। बच्चों को नहलाने के बाद उनके कानों को अच्छी तरह से सुखाएं। आसपास का क्षेत्र साफ-सुथरा और सूखा रखना चाहिए।

4. शिशुओं के कान की संरचना।

बाल और वयस्क की यूस्टेशियन ट्यूब की तुलना blog iamge
बाल और वयस्क की यूस्टेशियन ट्यूब की तुलना

एक बच्चे की यूस्टेशियन ट्यूब (Eustachian tube) छोटी होती है और ट्यूब का कोण (angle) एक बड़े व्यक्ति की यूस्टेशियन ट्यूब से कम होता है। बच्चे की यूस्टेशियन ट्यूब सीधी होती है इसलिए पानी बाहर निकलने के बजाय ट्यूब में ठहर जाता है। गीली और नम यूस्टेशियन ट्यूब कीटाणुओं और जीवाणुओं के विकास के लिए एक आदर्श प्रजनन भूमि है।

उपर्युक्त कारण प्राकृतिक हैं और हमारे नियंत्रण से परे हैं। सामान्य सर्दी और अन्य सामान्य कारण हैं जिससे हम शिशुओं के कान में होने वाले संक्रमण की संभावना को कम करने या समाप्त करने की कोशिश कर सकते हैं।

5. ठंड के कारण संक्रमण।

ठंड या सर्दी शिशुओं के कान में संक्रमण का एक मुख्य कारण है। अध्ययनों से पता चलता है कि 23% शिशुओं को एक वर्ष की आयु तक सामान्य सर्दी हो जाती है। और 80% बच्चों को 4 साल की उम्र तक पहुंचने तक एक बार से अधिक सर्दी और खांसी होती है।

ठंड के दौरान यूस्टेशियन ट्यूब अवरुद्ध हो जाता है। इससे यूस्टेशियन ट्यूब में पानी का ठहराव होता है। पानी के संचय से जीवाणुओं की वृद्धि होती है।

वायरल संक्रमण भी कान में होने वाले संक्रमण के कारणों में से एक है। बाल रोग या कान का डॉक्टर निर्धारित करेंगे कि क्या संक्रमण बैक्टीरियल है या वायरल है।(Bacterial or Viral)

बच्चो के कान में संक्रमण के दौरान महत्वपूर्ण सावधानियां क्या हैं?

  • यदि आप बच्चे को पिलाने वाली बोतल से दूध या पानी पिला रहे हैं तो बच्चे के सिर को उठाएं। यह पानी को यूस्टेशियन ट्यूब में जाने से रोकता है। लेटे हुए बच्चे को दूध या पानी पिलाने से बचें।
  • कान पर एक गर्म संपीड़न (Warm compression) रखे, बच्चे को कुछ राहत देगा।
  • कान में संक्रमण के दौरान पालतू जानवरों को शिशुओं के कमरे में न जाने दें।
  • संक्रमण की अवधि के दौरान शिशुओं को ऐसे खिलौने न दें, जिन्हें मुंह में डाला जा सके।
  • माता-पिता और मेहमानों को बच्चे के आसपास धूम्रपान करने से बचना चाहिए।
  • कमरे में हवामान और तापमान को उचित बनाए रखें।
  • संक्रमण अवधि के दौरान चूसक वस्तुओ (Pacifiers) का उपयोग कम करें।
  • माता-पिता और देखभाल करने वालों को शिशुओं को संभालने से पहले अपने हाथ धोने चाहिए।
  • पुष्टि करें कि क्या सभी टीकाकरण समय-सारणी के अनुसार दिए गए हैं या नहीं। ।

शिशुओं के कान में संक्रमण का इलाज क्या हैं?

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संक्रमण के लिए शिशु के कान की जाँच करते कान का डॉक्टर

कान संक्रमण के हल्के फुल्के मामले अपने आप चले जाएंगे, अपने आसपास के वातावरण को गर्म, सूखा और साफ रखिये। स्तनपान करने वाले शिशुओं में प्रतिरक्षा अधिक होती है। जब तक बच्चा रो नहीं रहा है या बहुत असहज नहीं है, तब तक माता-पिता डॉक्टर के पास जाने से पहले एक दिन का इंतजार कर सकते हैं। कुछ मामलों में, छोटे बच्चों के कान में असुविधा संक्रमण से नहीं परंतु सामान्य सर्दी के कारण या कान में रुकावट के कारण भी हो सकती है।

अगर माता-पिता घर उपचार के बारे में आश्वस्त नहीं हैं तो उन्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए। आमतौर पर बाल रोग विशेषज्ञ बहुत सतर्क होते हैं और जब तक संक्रमण गंभीर न हो तब डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाइयां नहीं लिखेंगे।

यदि कान में संक्रमण का कारण वायरल है, तो एंटीबायोटिक काम नहीं करेंगे। एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic resistance) वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा माना जाता है। जब तक डॉक्टर द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता है तब तक माता-पिता को कान की दवाई (ईयरड्रॉप्स) या किसी भी प्रकार की दवा बिना नुस्खे के केमिस्ट से नहीं खरीदनी चाहिए।

जैसे पेट में खराबी, खाना सम्बन्धी मुद्दे, चलना सीखते समय गिरना, वैसे ही कान में संक्रमण  भी शिशुओं का बड़े होने का एक हिस्सा हैं। हर माता-पिता को इस दिनचर्या से गुजरना पड़ता हैं। वर्तमान पीढ़ी को एक लाभ है की इंटरनेट पर बहुत अधिक जानकारी उपलब्ध है। पहले, नए बने माता-पिता को जानकारी के लिए परिवार के बड़ों पर निर्भर रहना पड़ता था। इंटरनेट सभी विषयों पर जानकारी से भरा हुआ है, लेकिन माता-पिता के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं देना उचित नहीं है।

शिशुओं के कान में संक्रमण के 8 संकेत Infographic
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